मंदिर में घंटी लगाने के दो मकसद होते थे | एक तो घंटी बजा सब को प्रार्थना के लिए बुलाना और दूसरा सकरात्मक वातावरण का निर्माण करना |शुरुआत में नाद बजा कर भी इसी प्रकार के माहौल का निर्माण किया जाता था |जिन स्थानों पर नियमित रूप से मंदिर की घंटी बजने की ध्वनि आती है वहां से नकरात्मक उर्जा और सोच लुप्त हो जाती है |नक्रत्मकता हटने से समृद्धि का प्रवेश होता है | ऐसा भी माना जाता है की प्रलयकाल में नाद की गूँज सुनाई देगी यानि घंटे काल का प्रतीक भी माना जा सकता है |