संध्योपासना के 4 प्रकार हैं- (1) प्रार्थना, (2) ध्यान, (3) कीर्तन और (4) पूजा-आरती। जिसको जैसी पूजा भाती है वह वैसे करता है |
प्रार्थना –इसमें बहुत शक्ति होती है और ये आपके जीवन में सक्रत्मकता लेकर आएगी |इसके इलावा प्रार्थना से आप इश्वर तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं|
ध्यान –ध्यान यानि जागरूकता ,अपने आसपास घट रही चीज़ों पर ध्यान देना |ध्यान से मनोकामनाएं पूरी होती है और मोक्ष भी हासिल होता है |
कीर्तन –अपने इश्वर के प्रति भावों को संगीतमय रूप से प्रस्तुत करना भजन कहलाता है |लेकिन इसमें भी ध्यान देने वाली बात है की फिल्मों के तर्ज़ पर बने भजन उपयुक्त नहीं है | भजन हमेशा शास्त्रीय संगीत पर आधारित होने चाहिए |
आरती –इसे करने से मंदिर की पी एच वैल्यू बढती है |इस का असर इन्सान की सोच पर भी होता है |ऐसा करने से व्यक्ति सभी बीमारियों से दूर रहता है |