उस काल के एक वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोड़ा ने बताया की जहाँ इमरजेंसी में मीडिया के सोच विचार पर प्रतिबन्ध था वहां जयगढ़ किले से जुडी ख़बरें लोगों ने बड़े शौक से पढ़ी |ये खबरे भी आई थी की इस खजाने का काफी हिस्सा जयपुर को बसने में लग गया था | लेकिन फिर भी जवाहरात अभी भी सुरक्षित थे |मानसिंह द्वितीय ने आपने समय में इस खजाने के एक हिस्से को मोतीडूंगरी में रखा था |