इक्ष्वाकुवंशीय श्राद्धदेव की नवमी पीढ़ी में राजा नभग ने जन्म लिया | जब वह पढाई के लिए आश्रम गए तो उनके भाइयों ने संपत्ति का बंटवारा कर लिया और उनके हिस्से में कुछ भी नहीं आया | जब ये बात नभग ने आपने पिता से कही तो उन्होनें कहा की यज्ञ में एक ब्राह्मण मोह माय में जकड़े होने के कारण उसे पूर्ण नहीं कर पा रहे है | ऐसे में आप उनका यज्ञ पूर्ण करा वह धन आपने लिए ले लो | नभग ने वैसा ही किया लेकिन जब वह यज्ञ का धन लेने लगे तो शिव कृष्ण दर्शन रूप में प्रकट हुए | उन्होनें कहा की इस धन पर मेरा हक है, तुम इसे नहीं ले सकते | नभग ने फिर आपने पिता से मदद मांगी तो वह कहने लगे की ये शिव हैं | इसके बाद नभग ने शिव की स्तुति कर उन्हें प्रसन्न किया |