भीष्म की मृत्यु के बाद द्रोणाचार्य को कौरवों का सेनापति बनाया गया | उन्होनें भी पांडव सेना को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी | ऐसे में सभी लोग इसी सोच में पड़ गए की अब क्या किया जाएगा | कृष्ण के सुझाव पर अश्वत्थामा नाम के एक हाथी को मौत के घाट उतार दिया गया | इसके पश्चात् सब जगा ये खबर फैला दी गयी की अश्वत्थामा मारा गया | ये सुन द्रोणाचार्य को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ | उन्होनें युद्धिष्ठिर से सच जान्ने की कोशिश की | युद्धिष्ठिर ने भी कह दिया की अश्वत्थामा हाथी मारा गया लेकिन हाथी को उन्होनें धीरे बोला की द्रोणाचार्य को वह सुनाई नहीं दिया | शोक में वह वहीँ समाधी में लीन हो गए | ये देख पांडवों के सेनापति दृष्टद्युम्न ने उनका वहीँ वध कर दिया |