<p>इनकी अधिकतर कहानियोँ मे निम्न व मध्यम वर्ग का चित्रण है।डॉ॰ कमलकिशोर गोयनका ने प्रेमचंद की संपूर्ण हिंदी-उर्दू कहानी को प्रेमचंद कहानी रचनावली नाम से प्रकाशित कराया है। उनके अनुसार प्रेमचंद ने कुल ३०१ कहानियाँ लिखी हैं जिनमें ३ अभी अप्राप्य हैं। प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह सोज़े वतन नाम से जून १९०८ में प्रकाशित हुआ। इसी संग्रह की पहली कहानी दुनिया का सबसे अनमोल रतन को आम तौर पर उनकी पहली प्रकाशित कहानी माना जाता रहा है। डॉ गोयनका के अनुसार कानपूर से निकलने वाली उर्दू मासिक पत्रिका ज़माना के अप्रैल अंक में प्रकाशित सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम (इश्के दुनिया और हुब्बे वतन) वास्तव में उनकी पहली प्रकाशित कहानी है।उनके जीवन काल में कुल नौ कहानी संग्रह प्रकाशित हुए- &#39;सप्&zwj;त सरोज&#39;, &#39;नवनिधि&#39;, &#39;प्रेमपूर्णिमा&#39;, &#39;प्रेम-पचीसी&#39;, &#39;प्रेम-प्रतिमा&#39;, &#39;प्रेम-द्वादशी&#39;, &#39;समरयात्रा&#39;, &#39;मानसरोवर&#39; : भाग एक व दो और &#39;कफन&#39;।</p>

<p>उनकी मृत्&zwj;यु के बाद उनकी कहानियां &#39;मानसरोवर&#39; शीर्षक से 8 भागों में प्रकाशित हुई। प्रेमचंद साहित्&zwj;य के मु्दराधिकार से मुक्&zwj;त होते ही विभिन्न संपादकों और प्रकाशकों ने प्रेमचंद की कहानियों के संकलन तैयार कर प्रकाशित कराए। उनकी कहानियों में विषय और शिल्प की विविधता है। उन्होंने मनुष्य के सभी वर्गों से लेकर पशु-पक्षियों तक को अपनी कहानियों में मुख्य पात्र बनाया है। उनकी कहानियों में किसानों, मजदूरों, स्त्रियों, दलितों, आदि की समस्याएं गंभीरता से चित्रित हुई हैं। उन्होंने समाजसुधार, देशप्रेम, स्वाधीनता संग्राम आदि से संबंधित कहानियाँ लिखी हैं। उनकी ऐतिहासिक कहानियाँ तथा प्रेम संबंधी कहानियाँ भी काफी लोकप्रिय साबित हुईं। प्रेमचंद की प्रमुख कहानियों में ये नाम लिये जा सकते हैं- &#39;पंच परमेश्&zwj;वर&#39;, &#39;गुल्&zwj;ली डंडा&#39;, &#39;दो बैलों की कथा&#39;, &#39;ईदगाह&#39;, &#39;बड़े भाई साहब&#39;, &#39;पूस की रात&#39;, &#39;कफन&#39;, &#39;ठाकुर का कुआँ&#39;, &#39;सद्गति&#39;, &#39;बूढ़ी काकी&#39;, &#39;तावान&#39;, &#39;विध्&zwj;वंस&#39;, &#39;दूध का दाम&#39;, &#39;मंत्र&#39; आदि.</p>

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