हिंदी साहित्य व आलोचना में प्रेमचंद को प्रतिष्ठित करने का श्रेय डॉ रामविलास शर्मा को दिया जाता है। उन्होंने प्रेमचंद पर दो प्रमुख किताबें लिखीं- 'प्रेमचंद' और 'प्रेमचंद और उनका युग'। प्रेमचंद के पत्रों को सहेजने का काम अमृतराय और मदनगोपाल ने किया। प्रेमचंद पर हुए नए अध्ययनों में कमलकिशोर गोयनका और डॉ॰ धर्मवीर का नाम उल्लेखनीय है। कमलकिशोर गोयनका ने प्रेमचंद के जीवन के कमजोर पक्षों को उजागर करने के साथ-साथ 'प्रेमचंद का अप्राप्य साहित्य' (दो भाग) व 'प्रेमचंद विश्वकोश' (दो भाग) का संपादन भी किया है। डॉ॰ धर्मवीर ने दलित दृष्टि से प्रेमचंद साहित्य का मूलयांकन करते हुए 'प्रेमचंद : सामंत का मुंशी' व 'प्रेमचंद की नीली आंखें' नाम से पुस्तकें लिखी हैं।