आचार्य एन जी रंगा ने १९३० में महात्मा गाँधी के आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया | उन्होनें १९३३ में रैयत विद्रोह का नेतृत्व किया , किसान कांग्रेस की खोज की और गाँधी से किसान की दशा पर कई बहस भी की | वह 6 दशकों तक सदन का हिस्सा बने और उन्हें भारतीय किसान अभियान का पिता माना जाता है |

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