अक्टूबर 1925 में उनके नाम से एक वारंट जारी कर दिया गया | ऐसा इलज़ाम लगाया गया था की उन्होनें जबलपुर में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से कोई मूर्ति चुरायी थी | इस इलज़ाम के कारण रखल को निलंबित कर दिया गया | उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया और करवाई शुरू हुई | हांलाकि 3 साल बाद इस केस का फैसला रखल के हक में हुआ लेकिन फिर भी उसके बॉस ने उसे इस्तीफा देने की सलाह दी | 1928 में रखल दास ने ऐ एस आई से इस्तीफा दे दिया | ये दुःख रखल के लिए झेलना बहुत कठिन था और 1930 में उनका देहांत हो गया |