रविवार का दिन, उदय थोडा लेट उठा। सारे हफ्ते की थकान रविवार को निकलती है। यह जो अकाउंटेंट की जमात है, ज़िन्दगी ही ख़राब है। मालिक कभी खुश नहीं होता। सैलरी सबसे कम और काम सबसे अधिक। मार्केटिंग वालों की तो बल्ले बल्ले, मर्ज़ी से आओ और जाओ। मालूम ही नहीं पड़ता, घर पर आराम कर रहे हैं या यारों दोस्तों के साथ मौज मस्ती। पूछो तो जवाब मिलता है कि फील्ड में हैं। बोनस, इंसेंटिव अलग। अगर अकाउंटेंट बोनस या इंसेंटिव गलती से भी मांग ले तो हंगामा हो जाता है, सुनने को मिलता है कि करते क्या हो किताबें काली करते हो। जनाब अब तो कंप्यूटर का जमाना है, सारे एकाउंट्स तो कंप्यूटर में बनते है, अब तो टोटल भी नहीं लगाने पड़ते। छोड़ो इन बातों को, यह तो जानबूझ कर कहा जाता है नहीं तो सैलरी बढानी पड सकती है। बाकियों की तो अपने आप साल में दो बार सैलरी बढ जाती है परन्तु अकाउंटेंट की सैलरी तब बढती है जब वह नौकरी छोड़ने की कहता है। तब भाई साब को याद आता है कि अकाउंटेंट भी काम करता है। चला गया तो काम कौन करेगा। चलो इन बातों को छोड़ कर मुद्दे पर आते हैं।

उदय ब्रश करके बालकनी में कुर्सी पर बैठा, ठीक उसी समय अखबार वाले ने बन्दूक सा निशाना साधा और अखबार ठीक उसके आगे गोल टेबल पर। शुक्र है चाय नहीं थी टेबल पर नहीं तो गरम गरम चाय उछल कर उसके ऊपर आती। क्या निशाना लगाते हैं ये अखबार वाले। कही इधर उधर नहीं, हमारी सरकार इन अखबार वालों को निशानेबाज़ी, तीरंदाज़ी या बास्केटबॉल खेलों के लिए तैयार करे तो भाइयों और बहनों ओलिंपिक मैं बहुत सारे गोल्ड मैडल पक्के मिलेंगे, परन्तु हमारी सरकार को स्कैम करने से फुर्सत मिले तो कुछ आगे काम हो। उदय ने अखबार खोला। प्रथम पृष्ठ पर सनसनी खबर। एक महिला की दिन दहाड़े हत्या। पति की तलाश। वैसे तो दिल्ली शहर में हर रोज़ ही कोई न कोई वारदात होती रहती है। उदय महिला की फोटो देख दंग रह गया। यह क्या, मोना का फोटो, मोना की हत्या। हत्या के लिए पति पर शक, पति फरार। आज कल कौन है उसका पति, किसने किया क़त्ल। वह गौर के साथ समाचार पढने लगा। तभी उर्मिला चाय लेकर आई, पति को अखबार में गहरा डूबा देख खुले बालों से शरारती मूड में पानी उदय के ऊपर झटका। उदय पर कोई असर नहीं हुआ, वह तो चुपचाप मोना के मर्डर की खबर पढ़ रहा था। पति को शांत अखबार में उलझा देख कहा।

"क्या बात है, किस खबर को बड़े ध्यान से पढ़ रहे हो।"

"यह पढो मोना का मर्डर हो गया है।"

मोना का नाम सुन कर उर्मिला भौचक्की रह गई और ऊपर से उसका मर्डर। उसने पति के हाथों से अखबार खींचा और खबर पढने लगी। उर्मिला अखबार पढ़ रही थी और उदय ने केतली से कप में चाय डाली और धीरे धीरे चाय की चुस्कियां लेते हुए अतीत के पन्ने उलटने लगा।

उदय, मोना और शंकर तीनों एक साथ कॉलेज में पढते थे। तीनों में पक्की दोस्ती थी। उदय और शंकर दोनों मोना को चाहते थे। मोना थी ही बला की खूबसूरत। कोई भी उसे देख कर उस पर फ़िदा हो जाता। उसके जिस्म का हर अंग अपनी तारीफ खुद करता था। भगवान ने फुर्सत से मोना को बनाया होगा, यही हर कोई मोना को पहली नज़र में ही देख कर कहता। कॉलेज में पढते पढते उदय और शंकर दोनों मोना पर मर मिटे। मोना उदय के अधिक नजदीक हो गई, कारण उदय का पढने में अधिक तेज होना। शंकर को यह पसंद नहीं आता पर वह न कुछ कह सका ना ही कुछ कर सका। कॉलेज के बाद भी तीनों मिलते रहे। उदय एकाउंट्स में चला गया। शंकर मार्केटिंग में सेटल हो गया। मोना ने नौकरी नहीं की और एक दिन उदय के साथ विवाह के बंधन में बंध गई। एक साल तक दोनों की गृहस्थी सुचारू रूप से चलती रही। एकाउंट्स में होने के कारण उदय सुबह आठ बजे ऑफिस जाता और रात आठ नौ बजे वापिस घर आता। उसे किसी बात का इल्म ही नहीं था कि शंकर जो मार्केटिंग में था, जिसके पास समय की कोई कमी नहीं थी दोपहर के समय उदय के घर आने लगा। सारा दिन उदय से दूर मोना शंकर के जाल में फंस गई और दोनों के बीच मोहब्बत परवान होने लगी।

उदय एकाउंट्स में होने के कारण सुबह आठ बजे ऑफिस के लिए रवाना हो जाता था और रात को आठ नौ बजे ही घर वापिस आता था। शंकर मार्केटिंग में था और समय ही समय। उसने दोपहर के वक़्त मोना से मिलने उदय के घर आना जाना शुरु कर दिया। सारे दिन के अकेलापन के कारण मोना शंकर की नजदीकियां बढ गई। उदय को किसी भी बात का इल्म नहीं था कि उसके पीछे उसके घर में ही मोना शंकर के प्यार में गिरफ्त हो चुकी थी। एक दिन उदय इनकम टैक्स ऑफिस से सीधा घर चार बजे आया। सोचा था कि आज मोना को सरप्राइज देगा, परन्तु सरप्राइज उसके लिए तैयार था। घर की चाबी जेब से निकाली और घर में प्रवेश के साथ मोना का सरप्राइज तैयार था, वह शंकर की बाहों में थी। दोनों के होंठ सटे हुए। यह दृश्य देख कर उसके हाथ से ऑफिस की फाइल्स फर्श पर गिरी और उदय का क्रोध सातवे आसमान पर था। उसने शंकर की कमीज़ का कालर पकड़ा और दो तीन हाथ लगा दिए। शंकर गिरा तो उदय ने मोना को भी तीन चार थप्पर जड़ दिए। रंगे हाथ पकडे जाने पर मोना और शंकर उसका मुकाबला नहीं करने में ही भलाई समझी। शंकर बिना जूते पहने घर से बाहर भागा और कार में बैठ गया। मोना भी उदय के क्रोध से बचने के लिए शंकर के साथ उसकी कार में बैठ कर उसके साथ भाग खड़ी हुई। उदय ने मोना के घर उसके मां बाप को फ़ोन कर मोना की कार गुजारी बताई और कह दिया कि वह मोना के साथ और नहीं रह सकता। मोना या फिर उसके परिवार ने कोई विरोध नहीं किया। मोना फिर उदय के घर नहीं आई। आपसी सहमती से तलाक हो गया। मोना शंकर के साथ रहने लगी परन्तु उदय की ज़िन्दगी में तूफ़ान आ गया। एक साल तक उसकी मानसिकता ठीक नहीं रही, वह सोचता रहा कि आखिर उसने क्या कमी छोड़ी थी। अच्छी नौकरी, अच्छा वेतन और पूरा तन मन धन से मोना का था और मोना ने शंकर चुना उसके साथ विवाह के सात फेरे और सात वचन पवित्र अग्नि को साक्षी मान कर भी मोना उदय की नहीं हुई। फिर एक वर्ष बाद उर्मिला उदय की ज़िन्दगी में आई और दोनों हमसफ़र हो गए पवित्र अग्नि के सात फेरे ले कर एक साथ सात वचन ले कर। उदय ने सात फेरे और सात वचन लेने से पहले अपना अतीत और मोना के बारे में ऊर्मिला को सब कुछ बता दिया।

समाचार पत्र पढने के बाद उर्मिला ने उदय के कंधे पर हाथ रखा। उदय वर्तमान में आ गया। उदय की आँखों नम हो गयी।

"क्या सोच रहे हो?"

"खबर पढ़ कर कुछ पुरानी बातें याद आ गई।"

"मोना को भूले नहीं अब तक?"

"भूल चूका हूं, पर उसके साथ कॉलेज का साथ रहा, फिर एक साल शादी का बंधन रहा। पुरानी बातें कई बार उमड़ कर कहीं न कहीं कभी कभी याद आ जाती हैं। आज उसके मर्डर की खबर पढ़ कर वोह सब याद आ गया।" कह कर उदय ने आँखें पोंछी और नहाने के लिए बाथरूम चला गया।

मोना के मर्डर की खबर मीडिया में खुर्खियों में रही। हर समाचार पत्र, टीवी चैनल पर यही खबर थी। आठ दिन बाद पुलिस ने मोना के पति शंकर को पकड़ लिया। शंकर ने अपना अपराध कबूल कर लिया। शंकर के ऊपर मुकदमा दायर कर जेल में डाल दिया। जिस शंकर के लिए मोना ने उसे छोड़ा, आखिर उसका मर्डर क्यों किया? इसी सवाल का उत्तर पूछने उदय शंकर से मिलने जेल गया।

आज लगभग पांच साल बाद उदय शंकर से मिल रहा है। पांच साल पहले शंकर से आखिर मुलाकात हुई थी जब उदय ने मोना के साथ रंगे हाथ पकड़ा था और शंकर नंगे पैर भाग खड़ा हुआ था। उसने सोचा नहीं था कि उसी मोना के मर्डर के इल्जाम में शंकर से जेल में मिलेगा। आज भी शंकर नंगे पैर है। कुछ पल की शांति के बाद

"मोना को क्यों मारा?"

"तुमने नहीं मारा तो मैंने मार दिया।"

यह सुन कर उदय भोचक्का रह गया कि मैंने नहीं मारा "मैंने नहीं मारा, क्या मतलब है तुम्हारा?"

"जब मैं मोना से प्यार कर रहा था तब तुमने क्यों नहीं मारा?"

"मारना तो मैं तुम्हे चाहता था पर तुम उस दिन भाग गए और तुम्हारे पीछे मोना भी भाग गई। तुम दोनों मेरे हाथ नहीं आये। फिर वह तलाक के लिए मान गई। तलाक के बाद मैंने फिर से गृहस्थी बसा ली। दुनिया आगे बदने के लिए है। लकीर पीटने ले लिए नहीं।"

"ऐसा तुम सोच सकते हो मैं नहीं। प्यार मैं मोना से करता था शादी की तुमसे। मैं बर्दास्त नहीं कर सका। तुम सारा दिन ऑफिस में रहते थे, मैंने मोना पे डोरे डाले। वह मेरे प्यार के जाल में फँस गयी। मैं उससे शादी नहीं करना चाहता था सिर्फ तुमसे बदला लेना चाहता था क्योंकि तुमने मोना से शादी की थी। मेरा दाव उल्टा पड़ गया, जब तुम ऑफिस से जल्दी आ गए और मोना मेरी बाँहों में थी। मैं तुमसे बदला लेना चाहता रहा। तुमको जलाना और जलील करना चाहता था। तुम्हारे तलाक के बाद मुझे मोना से शादी करनी पड़ी। समय लौट कर आता है। एक समय तुम ऑफिस में बिजी रहते थे, फिर मेरा प्रमोशन हो गया। अक्सर टूर पर रहता था। मोना के साथ अधिक समय नहीं बिता पाता। फिर वोही हुआ। मोना किसी तीसरे के साथ मशगूल हो गई। मैं टूर से जल्दी आ गया। सोचा था कि मोना के साथ कुछ वक़्त बिताऊंगा परन्तु इतिहास अपने को दोहराता है। मैं घर में दाखिल हुआ, देखा मोना किसी और की बाहों में थी। यह देख मैंने उसका क़त्ल कर दिया।" कह कर शंकर चुप हो गया।

कुछ पल की शान्ति के बाद उदय बोला "उसे छोड़ देता।"

"क्या मतलब।"

"जैसे मैंने मोना को छोड़ दिया था, तुम भी मोना को छोड़ देते। क़त्ल करके उम्रकैद की सजा भुगतोगे। अगर मोना को छोड़ देते। अभी जवान थी कब तक जवान रहती। जवानी ढलते वह खुद सारी उम्र भुगत्ती। छोड़ देते तो अच्छा होता।" कह कर उदय चला आया।


शंकर के कानों में यही बात गूंजती रही छोड़ देता, छोड़ देता, छोड़ देता देता देता।।।।।

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