अक्सर ये कार्य बंजारे, गडरिये या आदिवासी लोग करते हैं। वे अपने किसी जानवर या बच्चे की सुरक्षा करने के लिए चौकी बांध देते हैं। इसमें  गडरिये अपने बच्चे को किसी पेड़ की छांव में लेटा देते हैं और उसके आसपास छड़ी से एक गोल लकीर खींच देते हैं। फिर कुछ मंत्र बोलकर  चौकी बांध देते हैं। उनके इस प्रयोग से उक्त गोले में कोई भी बिच्छू, जानवर या कोई बुरी नीयत का व्यक्ति नहीं आ सकता।यहीं प्रयोग लक्ष्मण ने सीता माता की सुरक्षा के लिए किया था जिसे आज लक्ष्मण रेखा कहा जाता है। दरअसल, चौकी बांधने का प्रयोग कई राजा महाराजा अपने खजाने की रक्षा के लिए भी करते रहे हैं। आज भी उनका खजाना इसी वजह  से सुरक्षित भी है। रावण ने अपने संपूर्ण महल की चौकी बांध रखी थी।
 
 माना जाता है कि बंजारा, आदिवासी, पिंडारी समाज अपने धन को जमीन में गाड़ने के बाद उस जमीन के आस-पास तंत्र-मंत्र द्वारा 'नाग की चौकी' या 'भूत की चौकी' बिठा देते थे जिससे कि कोई भी उस धन को खोदकर प्राप्त नहीं कर पाता था। जिस किसी को उनके खजाने का  पता चल जाता और वह उसे चोरी करने का प्रयास करता तो उसका सामना रक्षक नाग या भूत से होता था।

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