एक दिन दस्ग्रीव शिवजी के दर्शन करने कैलाश पर पहुंचा | क्यूंकि शिव तब तपस्या कर रहे थे तो नंद्दी ने उसे आगे जाने से मना कर दिया | ऐसे में अपनी शक्ति के घमंड में दस्ग्रीव ने उस पर्वत को ही उठा लिया जिस पर शिवजी विराजमान थे | ये देख शिवजी बेहद क्रोधित हुए | उन्होनें अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को ऐसे दबाया की दस्ग्रीव की भुजाएं उसके नीचे फंस गयीं | दर्द के मारे दस्ग्रीव ऐसे रोया की सब लोग परेशान हो गए | तब दस्ग्रीव ने अपने मंत्रियों के कहने पर शिवजी की 1000 वर्ष तक तपस्या की | इसके बाद शिवजी ने प्रसन्न हो उसे चंद्रहास खड्ग दी और कहा कि तुम्हारे रुदन से सारा विश्व कराह उठा इसलिये तुम्हारा नाम रावण होगा। रावण का अर्थ रुदन होता है।