बालाजी की मूर्ति का पिछला हिस्सा हमेशा गीला बना रहता है |अगर आप ध्यान से कान लगाकर सुनेंगे तो आपको समुद्र की आवाज़ स्पष्ट रूप से सुनाई देगी |बालाजी की मूर्ति का तापमान सदेव 110 फ़ारेनहाइट रहता है |हांलाकि मंदिर काफी ऊँचाई पर है और इस कारण वहां पर काफी ठण्ड रहती है |सुबह 04:30 बजे जब मूर्ति का अभिषेक किया जाता है तो उनके शरीर पर पसीने की बूँद पड़ जाती हैं | उन बूंदों को फिर सिल्क के कपडे से पोंछा जाता है | बृहस्पत को जब राजसी स्नान के लिए वस्त्रों को उतारा जाता है तो वह बहुत गर्म पाए जाते हैं |