दक्षिण में इस्लाम की प्रगति को नियंत्रित करने के लिए हरिहर और बुक्का ने कृष्णा और तुंगभद्र नदी के नज़दीक एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की | इस राज्य की राजधानी विजयनगर थी जो तुंगभद्र नदी के तट पर स्थित थी | हरिहर इस साम्राज्य के सबसे पहले शासक थे | उनकी मौत के बाद उनके भाई बुक्का ने सत्ता संभाली | उसकी मौत १३७९ में हुई और उसके बाद उनके बेटे हरिहर II ने सत्ता संभाली |

 

उनके साम्राज्य में  दक्षिण डेक्कन विजयनगर साम्राज्य के अन्दर आ गया | इसमें आज का कर्णाटक ,तमिल नाडू और केरेला राज्य शामिल थे | हरिहर II १४०४ में ख़तम हो गए | इस साम्राज्य को संगमा साम्राज्य भी कहते हैं | ये शासन करीब १५० साल तक चला लेकिन  १४८६ में उनके एक सरदार नरसिम्हा सलुव ने संगमा साम्राज्य के आखरी राजा को हरा सिंघासन पर कब्ज़ा कर लिया|

सलुव साम्राज्य के राजा ज्यादा दिन तक नहीं रहे | उनके बाद उनके दो बेटों ने गद्दी संभाली | १५०५ में दुसरे बेटे इम्मादी नरसिम्हा के राज्य के दौरान तलुव सरदार वीर नरसिम्हा ने सिंघासन पर कब्ज़ा कर लिया और तलुव साम्राज्य की स्थापना की |

कृष्णदेव राया (१५०९ -१५२९): वीर नरसिम्हा ने ४ साल तक शासन किया और १५०९ में उनके छोटे भाई कृष्णदेव राया ने सत्ता संभाली | विजयनगर राज्य ने कृष्णदेव राया के शासन काल में सफलता की ऊँचाइयों को छुआ | वह अपने हर युद्ध में जीत हासिल  करते थे | उन्होनें उड़ीसा के रजा को हरा विजयवाडा और राज्माहेंदरी पर कब्ज़ा कर लीया | विजयनगर राज्य पूर्व में कट्टक से पश्चिम में गोवा तक और उत्तर में रायचूर दोअब से दक्षिण में भारतीय महासागर तक  फैला हुआ था |

कृष्णदेव राया पश्चिम देशों से व्यापार को प्रेरित करते थे | वह न सिर्फ एक महान योद्धा थे बल्कि एक बेहतरीन नाटककार और शिक्षा के समर्थक भी थे | उन्होनें चित्रकारी , कला , नृत्य और संगीत को काफी बढ़ावा दिया | उन्होनें अपनी व्यक्तिगत आकर्षण, दया, और एक आदर्श प्रशासन के माध्यम से लोगों का दिल जीता |विजय नगर राज्य का पतन १५२९ में कृष्णदेव राया की मौत से शुरू हुआ | राज्य १५६५ में पूर्ण रूप से समाप्त हो गया जब आदिलशाही ,निजामशाही ,कुतुबशाही और बरिद्शाही ने मिल कर तालीकोटा में राम् राइ को शिकस्त दे दी | इसके बाद साम्राज्य छोटे राज्यों में बंट गया |  

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